andolan banam rajneeti

andolan banam rajneeti

Friday, April 20, 2012

कितना हसीं है जिंदगी का ये सफ़र ग़ालिब .............
खुदा ने मरना  हराम कर दिया और लोगो ने जीना ............. मिर्जा ग़ालिब . 
सबसे छुपाकर दर्द जो वो मुस्कुरा दिया ,
उस की हंसी ने तो आज मुझे रुला दिया ,

लहजे से उठ रहा था हर इक दर्द का धुंआ ,
चेहरा बता रहा था की कुछ गँवा दिया ,

आवाज में ठहराव था ,आँखों में नमी थी ,
और कह रहा था की मैंने सब कुछ भुला दिया ,

जाने क्या उसको लोगो से थी शिकायते ,
ख्यालो के देश में खुद को बसा दिया ,

खुद भी वो हमसे जुदा होकर अधुरा सा हो गया ,
मुझ को भी इतने लोगो में तनहा बना दिया ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,  

विश्वाश या अन्धविश्वाश

विश्वाश वो शक्ति है जो किसी बेजान चीज में भी जान फूंक सकती है ,एक रास्ते में पड़ा पत्थर भी जब दिल की श्रधा से और विश्वाश से पूजा जाता है तो वो भी भगवान् बन जाता है ,वो सामान्य सा दिखने वाला पत्थर  पूजे जाने पर अचानक से चमत्कारी हो जाता है उस्ससे प्रार्थना करने से हमारी मन्नत पूरी होने लगती है क्या इसके पीछे हमारा अगाध विश्वाश नही है जो हमें एक शक्ति देता है हमें  अपना काम  बिना किसी चिंता के करने  का , ये विश्वास ही है जो हमें किसी काम  को शुरू करने से पहले होने वाले संकोच  को और उसके परिणाम के बारे में हमारे मन में पैदा हुए खौफ को ख़तम करके हमें मानसिक बल देता है ,हमारी ताकत को दोगुना कर देता है ,,,,,,,,, 
अगर देखा जाये तो ये सम्पूर्ण  शक्ति कही न कही हमसे ही आई है अगर हम अपनी इस ताकत को समझ ले और ये जान ले की हमारा आत्मविश्वास ही हमें शक्तिशाली बनाता  है तो हम बेमिसाल बन सकते है और  और यही विश्वाश जब हम किसी और इन्सान में दिखाते है तो वो भगवान्  बन जाता है पर हम इन्सान है और हमारी जिम्मेदारी ये भी है की हम ये देखे की हम जहा अपना विश्वाश दिखा रहे है क्या वो हमारे विश्वाश के लायक है या नही वैसे तो विश्वाश में भ्रम का कोई सवाल ही नही उठता है परन्तु अगर हम आँखों के सामने से हर सच देखने के बाद भी किसी गलत बात को या इन्सान को सही साबित करने में लग जाये और उसमे  अपना विश्वाश ,अन्धविश्वाश की पराकाष्ठा तक ले जाये तो फिर हममे और और एक नादाँ बच्चे में क्या फर्क है इसलिए अपने विश्वाश की इज्ज़त करे और उसे अन्धविश्वाश का आकार ना लेने दे वरना ये आपके साथ साथ पूरे समाज को भ्रमित कर देगा 

किसी की ख़ामोशी को उसकी कमजोरी ना समझे क्युकी सबसे ज्यादा ख़ामोशी तूफ़ान में होती है और जब वो आता है तो सब कुछ तहस नहस हो जाता है ,.................

इन्सान की ये फितरत होती है की जब कोई उसकी गलत बात का विरोध नही करता या फिर उसका सताया हुआ उसके किये का जवाब ख़ामोशी से देता है तो वो उसे उसकी कमजोरी समझने लगता है ,उसे लगता है की सामने वाला उसके सामने कमजोर है इसलिए वो खामोश है पर सच तो ये है की ख़ामोशी सिर्फ दो ही लोग होते है या तो जो सच में कमजोर होते है या फिर जो अपने अन्दर ज्वालामुखी की तरह से अपना गुस्सा पालते रहते है पर कभी जाहिर नही करते क्युकी वो सही वक़्त का इन्तेजार करते है ,और गलत करने वाला इसी बात में खुश रहता है की खामोश रहने वाला कुछ नही कर सकता है पर शायद वो ये भूल जाता है की जो गुस्सा उसी समय निकल दिया जाता है या बोलकर जता  दिया जाता है उसे तो झेला जा सकता है पर जो गुस्सा दिल में समय के साथ बढता है वो जब बहार आता है तो बड़ी बड़ी हस्तिया मिटा देता है फिर चाहे उसके सामने कोई भी आ जाये वो किसी के रोके नही रुकता है इसलिए किसी के साथ कुछ गलत करने से पहले ये सोच लेना चाहिए की किसी को उतना ही सताओ जितना की वो सह ले क्युकी आपके अत्याचार की इन्तिहाँ किसी इन्सान को सुलगता हुआ ज्वालामुखी न बना दे और जब वो फूटे तो आपको पछतावे का वक़्त भी न मिल पाए ... 

Tuesday, April 17, 2012

hiiiiiiiiiiiiii friends

मेरा नाम ऋचा सेंगर है .ये ब्लॉग बनाने के पीछे मेरा मकसद है अपने मन रूपी समंदर में उठने वाले
 विचारो की लहरों को एक ठहराव देना .हमारे मन में किसी न किसी घटना को देखकर कोई न कोई विचार जरुर उठता है जो हमारे दिलो दिमाग में कुछ न कुछ सवाल और सुझाव पैदा करता है .कुछ विचार पल भर के लिए आते है तो कुछ का असर काफी लम्बा होता है अगर इन विचारो को एक ठहराव देकर व्यक्त कर दिया जाये तो मन में उठाने वाले बवंडर को वो रूप दिया जा सकता है जिससे परिवर्तन की चींगारी निकलती है और मन को शांति और दिमाग को सोचने की दिशा मिलती है .मेरे विचार मेरे अपने नजरिये से प्रेरित हो सकते है पर यहाँ उन सभी के विचारो का भी स्वागत है जो मेरे विचारो से सहमत हो या फिर असहमत हो .
विचारो की आग को ऐसे ही जला देने से बेहतर है की उसका उपयोग किया जाये और समाज के ज्यादा से जायदा लोगो को उसका लाभ मिल सके ,मन में हम बहुत कुछ सोचते है और कल्पना करते है पर जब तक उनका सदुपयोग वास्तविक जीवन में नही हो जाता तब तक आपका विचार किसी काम का नही है...........
तो स्वागत है विचारो के बवंडर में  उन सभी विचारवान लोगो का जो तर्क करना जानते है और उसे परिवर्तन का हथियार बनाना भी जानते है ,............. जय हिंद जय bharat