andolan banam rajneeti

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Wednesday, November 27, 2013

संघर्ष आत्मसम्मान के लिए --------आखिर कब तक?

एक उच्च पद पर आसीन व्यक्ति पैसे और ढेर सारा रूतबा हासिल किया हुआ वो इंसान होता है जो जितना ज्यादा प्रसिद्ध प्राप्त करता है ,उसकी जिम्मेदारियां भी उतनी अधिक होती है.उसका फर्ज बनता है की उसे जो पद और सम्मान हासिल हुआ है वो उसका मान रखे.वो बहुत सारे लोगो का आदर्श भी हो सकता और तब उसकी ये जिम्मेदारी और भी अधिक बड़ जाती है उन लोगो के प्रति ,की वो अपनी छवि को हमेशा साफ सुथरा रखे जिससे उससे प्रेरणा हासिल करने वाले लोग हमेशा उसके काम से और उसके व्यक्तित्व से सही सीख लेते रहे.पर कहते है न ज्यादा पैसा ,जायदा शोहरत और जायदा ताकत कभी कभी इंसान के होश उड़ा देती है.जैसा कि तरुण तेजपाल ने किया।तहलका मैग्जीन के संपादक तरुण तेजपाल ने बहुत नाम कमाया और उसके लिए हर रास्ता अपनाया।लेकिन जब तरुण ने थिंक फेस्टिव के दौरान अपनी मेग्जिन की एक महिला पत्रकार के साथ बदसलूकी की तब उन्होंने सारी सीमाए तोड़ दी.अपनी बेटी की सहेली और अपने ही एक सहकर्मी की बेटी के साथ दुर्व्यवहार करते हुए एक पल के लिए शर्म महसूस नही हुई.नशा आखिर इंसान का दिमाग जो बंद कर देता है.जब महिला पत्रकार ने तरुण के खिलाफ आवाज उठायी तब तरुण बड़े ही नाटकीय अंदाज से पीड़िता से माफ़ी मांगी और खुद ही अपना इस्तीफा देकर सजा देने का एलान किया।लेकिन फिर तरुण तेजपाल के समर्थन में उतरी नारी अधिकारो और सम्मान की बात करने वाली तहलका की सह संपादक शोमा चौधरी।जिन्होंने पीड़िता का साथ देने के बजाय तरुण तेजपाल का साथ दिया।उस पर सोने पर सुहागा हमारे देश कि केंद्र सरकार के नुमाइंदे भी तरुण तेजपाल के समर्थन में आ गयी.जो तरुण अपने किये पर पहले माफ़ी मांग रहे थे वही अब उस लड़की को झूठा बता रहे है और कहते है कि ये देश के विपक्ष की साजिश है.क्या हो गया है इस देश को जहां एक महिला को अपने ऊपर किये गए अत्याचार का विरोध करना भी भारी पड़ रहा है क्युकी उस पर अत्याचार करने वाले बहुत ऊँची पहुच वाला है जिसके साथ इस देश कि केंद्र सरकार खड़ी हो उसका कोई क्या बिगाड़ सकता है.एक महिला के सम्मान में भी राजनीती हो रही है बहुत सारे महिला संगठन है इस देश में पर तरुण तेजपाल के मामले में दबी जुबान से ही विरोध कर रहे है कोई सामने आकर विरोध नही कर रहा क्यों ?जिस देश कि बागडोर उस पार्टी के हाथ में है जिसकी अध्यक्षा एक महिला है वो चुप क्यों है.इस राजनीती से तरुण तेजपाल जरुर बचने कि कोशिश में लग गए है आखिरकार उन्हें कांग्रेस का साथ मिल गया है और शायद अगले लोगसभा चुनाव में उन्हें भी टिकट मिल जाये।और फिर यही हमारे बीच वोट मांगने आयेगे ,और हमारे घर कि बहु- बेटियो को फिर से "दामिनी"बनायेगे। 

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