andolan banam rajneeti

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Tuesday, December 24, 2013

"आम आदमी पार्टी" या आम आदमी पर राजनीती।

भारत की जनता इस समय त्रस्त है ,मंहगाई से भ्रस्टाचार से बेरोजगारी से और असुरक्षा से जहां देश की बागडोर ऐसे लोगो के हाथो में है जो अपने ही अहंकार में डूबे हुए है जिन्हे कोई परवाह नही की देश के लोग और देश का आत्मसम्मान विनाश की गर्त में जा रहा है उन्हें फ़िक्र तो बस अपनी सत्ता को सहेजने की। देश की राजधानी दिल्ली ,जिसने विगत कुछ वर्षो में बहुत कुछ भुगता ,जो ज्यादातर पूरा देश भुगत रहा है पर शायद दिल्ली की झोली में ये कुछ ज्यादा ही आ गया। बिजली की समस्या ,पानी की कमी और महिलाओ के लिए असुरक्षा और भी न जाने क्या क्या। लोगो ने एक महिला पर भरोसा किया और उसे दिल्ली कि किस्मत सौपी पर शायद दिल्ली का ख्याल गलत निकला क्युकी बागडोर सँभालने वाले अपने  ही अहम में जी रहे थे कि वो जनता के सेवक नही भाग्य विधाता है। दिल्ली में दिसम्बर २०१२ में होने वाले निर्भया कांड ने तो लोगो को दहला कर रख दिया ,अब तो दिल्ली में बेटियो का घर से निकलना भी खतरे से खाली नही और ऐसे में मुख्यमंत्री साहिबा का ये कहना कि लड़कियो को रात में घर से ही नही निकलना चाहिए ,बहुत ही गैरजिम्मेदाराना और शर्मनाक बयान था। पूरी दिल्ली ने एक होकर सड़को पर सरकार का घेराव किया और निर्भया के लिए इन्साफ मांगा पहले तो सरकार ने इसे हलके में लिया और मासूम जनता पर लाठिया बरसायी लेकिन लोगो के गुस्से कि आग नही बुझी तब सरकार ने अपने किये के लिए माफ़ी मांगी और महिलाओ कि सुरक्षा के लिए नया बिल लाने का वादा भी किया ,जनता के भय ने सत्ता को झुका दिया लेकिन क्या सच में दिल्ली सुरक्षित हो गयी नही क्युकी ये सत्ता के खोखले वादे थे अपराध अब भी हो रहे है लोग अब भी अपनी रोजमर्रा कि जिंदगी जीने के लिए संघर्ष कर रहे है ,लोगो में गुस्सा है पर किसके लिए शीला दीक्षित के लिए नही बल्कि उस केंद्र सरकार के लिए उस कांग्रेस के लिए जो इतने घोटाले करने के बाद ,आम जनता के  जीवन को कष्टकारी बनाने के बाद भी उसे सुधरना तो दूर उस पर पछतावा करना भी जरुरी नही समझती वो जनता को जवाब नही देना चाहती ,अहंकार ने अच्छे अच्छो को नीचे पटक दिया तो फिर कांग्रेस क्या है। ऐसे में एक चर्चित जनांदोलन जिसके  नेता अन्ना हजारे जी रहे ,उनके सहयोगी अरविन्द ने अन्ना के आदर्शो के खिलाफ जाकर एक राजनीतिक पार्टी आम आदमी पार्टी का गठन किया। घर घर जाकर लोगो को ये सन्देश दिया कि सभी पार्टियां एक जैसी है पर हम  आम लोगो की  पार्टी है जिसमे सिर्फ जनता का मत तथा जनता का हित मायने रखता है। अरविन्द ने मायूसी के भंवर में फंसे लोगो को एक ऐसा विकल्प दिखाने कि कोशिश कि जो निष्पक्ष और पारदर्शी बनने का दावा करता था ,हालांकि लोगो ने कांग्रेस के खिलाफ अपने गुस्से का एक विकल्प बीजेपी में ढूंढा परन्तु अरविन्द उनके सामने एक  और विकल्प बनकर आये। दिल्ली २०१३ के विधानसभाचुनावो में कांग्रेस कि जबरजस्त पराजय हुई बीजेपी बड़ी पार्टी बनकरउभरी। आप पार्टी दूसरे नंबर पर आयी पर बहुमत किसी को नही मिला। बीजेपी ने सरकार बनाने से इंकार कर दिया क्युकी वो गठजोड़ नही करना चाहती थी  और आप पार्टी के नेता अरविन्द कहते रहे कि वो जनता के हितैषी है  इसलिए वो बीजेपी से  समर्थन लेगे और न ही कांग्रेस से। आखिरकार उन्होंने जनता के वोट इसी आधार पर  ही तो हासिल किये थे कि वो एक अन्य विकल्प है  और पार्टियो कि तरह नही है। सरकार न बनने कि हालत में अरविन्द ने कहा कि वो लोगो से राय लेकर सरकार बनाने को तैयार है जिसमे पहले तो वो समर्थन लेने के लिए भी  शर्ते रख रहे थे लेकिन ऐसा हुआ नही ,आखिरकार अरविन्द ने जनता कि राय ली जिसमे दिल्ली कि कुल जनता में से सिर्फ २. ५५ %लोगो ने हां की और अरविन्द तैयार है सरकार बनाने के लिए। उस कांग्रेस का  हाथ थामकर जिसे वो  सांप कहा करते थे। तो क्या सच में ये आम जनता की जीत है बाकि लोगो कि राय मायने नही रखती अरविन्द की नजर में। क्या ये लोगो के साथ धोखा नही है क्युकी जिस कांग्रेस के खिलाफ आम जनता ने  अपना रोष निकाला है विधान सभा चुनावो में उसी कांग्रेस  का साथ देकर अरविन्द केजरीवाल ने क्या किया? इसका फैसला तो जनता को करना है कि  क्या आम आदमी पार्टी का निर्माण जनता के लिए हुआ था या जनता के वोट हासिल करके बीजेपी की राह में रोड़े अटकाना और कांग्रेस कि झोली में वो अधिकार डाल देना जिसे जनता ने नकार दिया था। क्या अरविन्द की झाड़ू सत्ता कि गन्दगी साफ़ करने कि बजाय जनता की भावनाओ का  सफाया तो नही कर देगी। 

Wednesday, November 27, 2013

संघर्ष आत्मसम्मान के लिए --------आखिर कब तक?

एक उच्च पद पर आसीन व्यक्ति पैसे और ढेर सारा रूतबा हासिल किया हुआ वो इंसान होता है जो जितना ज्यादा प्रसिद्ध प्राप्त करता है ,उसकी जिम्मेदारियां भी उतनी अधिक होती है.उसका फर्ज बनता है की उसे जो पद और सम्मान हासिल हुआ है वो उसका मान रखे.वो बहुत सारे लोगो का आदर्श भी हो सकता और तब उसकी ये जिम्मेदारी और भी अधिक बड़ जाती है उन लोगो के प्रति ,की वो अपनी छवि को हमेशा साफ सुथरा रखे जिससे उससे प्रेरणा हासिल करने वाले लोग हमेशा उसके काम से और उसके व्यक्तित्व से सही सीख लेते रहे.पर कहते है न ज्यादा पैसा ,जायदा शोहरत और जायदा ताकत कभी कभी इंसान के होश उड़ा देती है.जैसा कि तरुण तेजपाल ने किया।तहलका मैग्जीन के संपादक तरुण तेजपाल ने बहुत नाम कमाया और उसके लिए हर रास्ता अपनाया।लेकिन जब तरुण ने थिंक फेस्टिव के दौरान अपनी मेग्जिन की एक महिला पत्रकार के साथ बदसलूकी की तब उन्होंने सारी सीमाए तोड़ दी.अपनी बेटी की सहेली और अपने ही एक सहकर्मी की बेटी के साथ दुर्व्यवहार करते हुए एक पल के लिए शर्म महसूस नही हुई.नशा आखिर इंसान का दिमाग जो बंद कर देता है.जब महिला पत्रकार ने तरुण के खिलाफ आवाज उठायी तब तरुण बड़े ही नाटकीय अंदाज से पीड़िता से माफ़ी मांगी और खुद ही अपना इस्तीफा देकर सजा देने का एलान किया।लेकिन फिर तरुण तेजपाल के समर्थन में उतरी नारी अधिकारो और सम्मान की बात करने वाली तहलका की सह संपादक शोमा चौधरी।जिन्होंने पीड़िता का साथ देने के बजाय तरुण तेजपाल का साथ दिया।उस पर सोने पर सुहागा हमारे देश कि केंद्र सरकार के नुमाइंदे भी तरुण तेजपाल के समर्थन में आ गयी.जो तरुण अपने किये पर पहले माफ़ी मांग रहे थे वही अब उस लड़की को झूठा बता रहे है और कहते है कि ये देश के विपक्ष की साजिश है.क्या हो गया है इस देश को जहां एक महिला को अपने ऊपर किये गए अत्याचार का विरोध करना भी भारी पड़ रहा है क्युकी उस पर अत्याचार करने वाले बहुत ऊँची पहुच वाला है जिसके साथ इस देश कि केंद्र सरकार खड़ी हो उसका कोई क्या बिगाड़ सकता है.एक महिला के सम्मान में भी राजनीती हो रही है बहुत सारे महिला संगठन है इस देश में पर तरुण तेजपाल के मामले में दबी जुबान से ही विरोध कर रहे है कोई सामने आकर विरोध नही कर रहा क्यों ?जिस देश कि बागडोर उस पार्टी के हाथ में है जिसकी अध्यक्षा एक महिला है वो चुप क्यों है.इस राजनीती से तरुण तेजपाल जरुर बचने कि कोशिश में लग गए है आखिरकार उन्हें कांग्रेस का साथ मिल गया है और शायद अगले लोगसभा चुनाव में उन्हें भी टिकट मिल जाये।और फिर यही हमारे बीच वोट मांगने आयेगे ,और हमारे घर कि बहु- बेटियो को फिर से "दामिनी"बनायेगे। 

Thursday, October 4, 2012

नमस्कार को टाटा खा गया, नूडल खा गया आटा !!
अंग्रेजी के चक्कर में हुआ बड़ा ही घाटा !!
बोलो धत्त तेरे की !!

माताजी को मम्मी खा गयी, पिता को खाया डैड !!
और दादाजी को ग्रैंडपा खा गये, सोचो कितना बैड !!
बोलो धत्त तेरे की !!

गुरुकुल को स्कूल खा गया, गुरु को खाया चेला !!
और सरस्वती की प्रतिमा पर आज उल्लू मारे ढेला !!
बोलो धत्त तेरे की !!

चौपालों को बियर बार खा गया, रिश्तों को खाया टी.वी. !!
और देख सीरियल लगा लिपिस्टिक बक-बक करती बीबी !!
बोलो धत्त तेरे की !!

रसगुल्ले को केक खा गया और दूध पी गया अंडा !!
और दातून को टूथपेस्ट खा गया, छाछ पी गया ठंडा !!
बोलो धत्त तेरे की !!

परंपरा को कल्चर खा गया, हिंदी को अंग्रेजी !!
और दूध-दही के बदले चाय पी कर बन गये हम सब लेजी !!
बोलो धत्त तेरे की !!

From - महेश दुबे "बनारसी सांड"

अपनी बिगड़ी हुई छवि को सुधारने के लिए अब केंद्र सरकार १०० करोड़ खर्च करके प्रचार प्रसार का कार्य सरकार की सकारात्मक छवि को जनता के बीचे बनाने के लिए करेगी ,यानि पहले जनता के पैसे खाओ ,डकार भी मत मारो और जब जनता आलोचना करे तो अपनी काली छवि को सफ़ेद चादर में लपेटने के लिए भी जनता के खून पसीने की कमाई को आग लगा दो ,वह क्या मैनजमेंट है हमारी सरकार का ,अब बताये मनमोहन जी की ये पैसे कहा से आ रहे है क्या दस जनपथ में पैसे का पेड़ लगा लिया है




क्या आपने कभी सुना है की अपनी मात्रभाषा बोलने वाले और विदेशी भाषा न जानने पर किसी को इतना अपमानित किया जाये की वो शर्मिंदगी से आत्महत्या कर ले ,कुछ ऐसा ही हुआ है मंदसौर के एक कॉलेज में एक शिक्षिका ने एक छात्र को अंग्रेजी न बोल पाने के कारन इतना अपमानित किया की उसने कॉलेज में ही जहर खा लिया और अपने जीवन का त्याग कर दिया ,ये है हमारा देश जहा हिंदी बोलने वाले की ये दुर्गति हो रही है और कितनी महान है वो शिक्षिका जो देश के भविष्य की नही बल्कि अंग्रेजो की अंग्रेजी की परवरिश के लिए नियुक्त की गयी है ,अब हिंदी दिवस मानते रहिये और इसी तरह से हिंदी बोलने वालो का बुरा हश्र करवाते रहिये

Sunday, August 5, 2012

andolan banam rajneeti

ek taraf bharat jaha vikas sheel desho ki shreni me aage badta ja raha hai , wahi dusri taraf ek kadvi sachayi ke rup me bharat me mahngayi ,bhrashtachar aur berojgari kali nagin ki tarah se pure desh me apna jahar faila rhi hai,itni mahngayi aur lagatar badte jaruri cheejo ke damo ne aam adami ka jeena muhal kar diya hai aur aise me jab rajneetic aur prashshnik shetro se bhrashtachar ki khabare aati hai to aam aadami khoon ke ansu peekar rah jata hai ,apni is bebasi aur lachari me wo kya kare ye uski samjh se pare hai jabki uske liye apne liye ek waqt ki roji roti jutana muhal ho gaya hai ,aise me ek roshni ki kiran bankar aaye anna hajare ,jinhone ne apni team ke sath milkar is desh ki janta ko ek sapna dikhaya ,sapna tha bhrashtachar mukt desh ka aur ek shashkt lokpal bil ko kanuni rup dekar bharshtachario ko hawalat ke darshan karwane ka ,anna hajare ke is andolan ki shuruaat ne logo ki dukhti rag par jaise koi malham ka kam kar diya ,har koi jaise utsahit ho gaya ,garib se garib aur amir se amir har adami apni shakti ke anusar apna yogdan dene ke liye pahuch gaya anna ke is andolan rupi yagya me ,jis garib ko apni roti ke alwa kuch dikhayi nhi deta wo bhi apni bhukh ki fikar chodkar is andolan me shamil ho gaya ,sab logo ko bs yahi lag raha tha ki ek bujurg jise apni sehat ki koi fikar nhi hai aur jo deshwasiyo ke liye aapni jaan jokhim me dalakar is desh ka bhala karne chala hai to kyu na ham bhi isme uska sath de,is andolan ko asafal karne ke kitne prayas kiye gaye parantu janta ke atut utsah ne aur uske sath ne sarkar ki bhi himmat ko muhtod jawab de diya , sarkar ne apni dam lagakar jaha tak ho saka is lokpal bill ke mudde ko talne ki bharsak koshish ki ,9 august ko anna ne fir se apni team ke sath apna jor lagaya aur fir se janta ne wahi sath diya jo usne pahle diya tha ,is bar anna ji ne kaha ki wo marte dam tak apne irado par ade rahege aur jab tak sarkar lokpal bill parit nhi karti tab tak wo apna anshan nhi todege ,par achanak se unhone apna faisla badal diya aur ye ghoshna ki ,ab wo rajneeti ki keechad ko saf karne ke liye khud keechad me utrege aur tabhi uski safayi karke is desh ko bharshtachar mukt banayege ..........to kya yahi maksad tha team anna ka janta ko itne sapne dikhaye ,unse jo wade kiye unhe apne sath joda ,har aam adami ne unka sath diya bina apne bhukh aur jeevan ki parwah kiye hue ,kye ye dhokha nhi hai desh ki janta ke sath ,agar keechad ki safayi keechad me utarkar hi karni thi to pahle hi utar jana tha kyuki aisa nhi hai ki is desh ki rajneeti me kuch ache logo ki kami ho ,mana ki bure bahut hai par unme kuch log aaj bhi ache hai kya team anna unka sath lekar pahle hi is rajneeti ke keechad ko saf karne ka prayas nhi kar sakti thi to fir ye andolan ka dhong kyu kiya gaya ya fir samay ke sath team anna ne bhi rajneeti ka swad chakh liya hai ... khair dekhte hai ki team anna aur anna hajare rajneeti ke keechad ko bina khud par keechad lagaye kaise saf karte hai ,jay hind

Friday, June 29, 2012

pakistan sarkar ne sarabjeet ki rihayi ka sapna dikhkar use tod diya aur uske bad galat fahami ka bahana banakar kah diya ki nam me galatfahami ho gayi thi sarabjeet nhi balki surjeet singh ko riha kiya jayega ,asal me pakistan ke kattarpanthi sangthan sarabjeet ki rihayi ke khilaf hai ,in kattarpanthiyo ka kahna hai ki agar sarabjeet ki rihayi ki jati hai to ,bharat se kasab ko bhi riha kar dena chahiye,ye barabari kaha tak uchit hai kaha bekasur sarabjeet aur kaha hatyara kasab ,ye to sirf bahana bhar hai pakistan sarkar ka kyuki wo bhi ache se jante hai ki jitna surkhshit kasab bharat me hai utna aur kahi nhi isliye to jab bhi kisi atankwadi ko vip suvidhaye aur suraksha pradan ki jani hoti hai to use bharat bhej diya jata hai .